छत घर का एक ऐसा हिस्सा है जो प्राय: एक ही अर्थ में उपयोग में आता है की सर के ऊपर छत जो एक इज्जत, सम्मान का प्रतीक है। वास्तव में छत वो हिस्सा है जो सभी घर के सदस्यों से जुड़ा है।छत के नीचे खड़े हो तो सुरक्षा, साया और बंद का एहसास और उपर खड़े हो तो खुलेपन, ताजगी का एहसास होता है। बुजुर्ग के लिए ये इज्जत है तो महिलाओ के लिए कपड़े सुखाने से लेकर आचार डालने तक की क्रिया का मैदान बनी छत इनके दिल हल्का करने मन की बात साझा और गला साफ़ करने, पूरे मोहल्ले की खबरों का पोस्टमार्टम करने का अड्डा यहीं छत होती है। मिलती हुई छतें दिल भी मिलाती हैं जब प्रेमी कई छतों को टॉप कर अपनी प्रेमिका से मिलने दुनिया की नजरो से बचकर मिलते है। छतों पर रिश्ते बनते और बिगड़ते हैं।छत ही वो जगह हैं जहां आंखो के पेंच लड़ने से लेकर पतंगों के पेंच तक लड़ते हैं। इसी जगह पर प्रेमियों की छुप कर मिलते है तो खुलकर करवा चौथ को चांद यही से देखते हैं। छत के पास सबको देने के लिए कुछ न कुछ है। ©saroj sharma #roof