समझ नही आ रहा, ये रास्ता पीछे जा रहा या मैं आगे जा रहा। जिंदगी में जैसे आगे सा जा रहा, या ज़िन्दगी को पीछे छोड़ता जा रहा। सफर चेन्नई से दिल्ली का, हाथ में नोबेल, आंखों पर चश्मा, साथ में लिखना - लिखाना। दिन बीतते जा रहे, हासिल कुछ नही हो रहा, थोड़ा जिम्मेदारियों का बोझ और जॉब की टेंशन। मेरी जिंदगी के दिन घटते जा रहे, या लम्हे बढ़ते से जा रहे। ये लम्हे, ये सफर, ये रास्ता, ये सब यूँही कट जाएगा, पता नही ज़िन्दगी का सफर किस पल, किस नए मोड़ पर क्या रंग दिखायेगा। हर प्लेटफार्म पर दो मिनट का ठहराव, और नए रंग, नए लोगो का आना। और फिरसे पटरियों को पीछे छोड़ते जाना। हाँ, नही समझ आ रहा जिंदगी का फ़साना। ज़िन्दगी में जैसे आगे सा जा रहा, या ज़िन्दगी को पीछे छोड़ता जा रहा।। #246 #8thpoem #mypoem #rajat #rajatagarwal #travelling #melting_philosophy Travelling to Delhi from Chennai by train, Tamilnadu Express on 22dec 2k19.