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औरत एक औरत भी है औरत कभी माँ है कभी बहन, कभी बेट

औरत एक औरत भी है

औरत कभी माँ है कभी बहन, 
कभी बेटी तो कभी पत्नी या प्रेयसी 
इन सबसे अलग औरत एक औरत भी है।

जो अपने आप में जीती है
अपने आप में मरती है
 उफ! भी नहीं करती है
 और पुरुष के अहं को टूटने से बचाए रखती है।

वह जानती है
पुरुष एक बार टूट जायेगा 
तो दोबारा जुड़ नहीं पाएगा 
जबकि औरत ? औरत ने पाई है
 मिट्टी की प्रकृति टूटते ही,
 अपने आँसुओं से गूँथेगी
 खुद को और जुड़ जायेगी नई परिस्थितियों से।

©Donia Aakash Bhardwaj
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