न्यूज़ चैनलों में मची है, अजब सी होड़, पेश करते खबरों को, जी भर तोड़ मरोड़। ब्रेकिंग न्यूज़ सबसे पहिले, हमारे चैनल ने दिखलायी है, सब इसी अफरा तफरी में लगे हैं, जानने की फुरसत कहां कि , आइने में क्या सच्चाई है। किसने कितनी करी साजिशें, कहां हुई बेहिसाब रंजिशें, इसका पूरा हिसाब है, पर क्या सच में सच का, चेहरा बेनकाब है? आड़े-टेढ़े,उल्टे-सीधे, मीडिया के सवाल बेशुमार, बीत रही क्या पीड़ित पर, नहीं कोई सरोकार। एक ही खबर को पूरा दिन, हर चैनल दिखा रहा, मानो कोई चूहा एक ही ब्रेड, दिनभर कुतर-कुतर के खा रहा। अब बस करो हंगामा ये शोर, छटने दो छाए हैं, झूठ के बादल घनघोर। पानी को पानी ही रहने दो, मत दिखाओ इसे शराब, खबर को खबर ही रहने दो, "र"और "ब" से खेलकर, मत बनाओ इसे खराब। आजकल news channels और media ने खबर पहुंचाने से ज़्यादा channels को प्रतिस्पर्धा का ज़रिया बना लिया है।ऐसे ही कुछ news channels और पत्रकारों पर मेरा नज़रिया मैंने यहां लिखा है।इससे अगर किसी की भावनाएं आहत होती हो तो माफी चाहूंगी 🙏 न्यूज़ चैनलों में मची है, अजब सी होड़, पेश करते खबरों को, जी भर तोड़ मरोड़। ब्रेकिंग न्यूज़ सबसे पहिले, हमारे चैनल ने दिखलायी है, सब इसी अफरा तफरी में लगे हैं,