कहना था कुछ, मगर बोलूं क्या…. एक राज दबा है होंठो तले अभी खोलूं क्या…. क्या तुम तैयार हो सुनने को मेरी दिल की ये आवाज क्या तुम चाहते हो की मैं बना लूँ तुम्हे हमराज। ….उफ्फ ये इशारे, ऐसा मत करो ना इशारों में बात करना मेरे वश् की बात नही है। थोड़ी थोड़ी करके करेंगे दोस्ती ये कोई आखिरी मुलाकात नही है। थोड़ा धीर रखो, मैं तुम्हारा ही हूँ मन जुड़ गया यही कहीं जो अब भागकर नही जाने वाला है कम कम खेलो नजरो से मेरे चुरा ना लेना दिल, बड़े नाज से इसे पाला है। हमराज पार्ट-1