कोशिश ये मत कहो की किस्मत में था ही नही जब कोशिश की हद तुमने पार की ही नहीं चलो नाकामयाब कहा लोगोनें तो नाकामयाब सही बिना दुःख सहे कोई सफल भी तो नहीं मानो चलो असफल हुए तो असफल ही सही लेकिन गिरे , दौडे तो यही बन गये एक भटके हुए राही लाख रुकावटे आयी फिर भी रुके तो नहीं कुछ खो दिया तो दुःख कैसा ये तो है कुछ पानें के लिये कुछ खोना पडता हैं जैसा कुछ मिला तो गर्व कैसा रखो पाव जमीन पे यही क्यूकीं पुरी दुनिया को तो जिता सिकंदर भी नहीं -भाग्यश्री #OpenPoetry