बेख़ौफ़ फिरूं मैं, हाँ बेखौफ़ फिरती हूँ दिल्ली मुखर्जी नगर की गलियों में मैं क्योकि पता है दिल जो मचलता था वो तेरे गिरफ्त में है बरसों से बिन लाली बिन पाउडर बिना सीसा देखे निकल जाती हूँ बालों में लट लपेट कर क्योंकि तेरे सिवा किसी और के लिए मै श्रृंगार नहीं करती साहब याद रहे और तुम्हे श्रृंगार पसंद नहीं,भाग्यशाली हूँ तेरे प्रेम के नशे में सच बताऊँ बहुत पैसे बचते हैं हमारे तुझसे सच्ची मोहब्बत करके पागल सी बेखौफ़ फिरती हूँ मैं दिल्ली मुखर्जी नगर की गलियों में हाँ तब दिल धड़क जाता है किसी को टकला देख कर,नर्गिस बेनूरी खज़ा ©Tanu tiwari दिल्ली मुखर्जी नगर की गलियों में मैं बडी बेखौफ़ सी फिरती हूं साहिब