घनी काली रात थी सर्द माैसम की ठंडी हवा भी मेरे आस पास थी उस रात अनकही खुशी मेरे साथ थी क्योंकि मेरी नौकरी की पहली तनख्वाह मेरे हाथ थी... सोचा था आज घर पहुँच पापा को गले लगाऊगी गर्व से खुद को पापा की काबिल बेटी कहल वाऊगी पर..... उस रात मेरी रूह के हिस्से भी दंग थे मेरे सपनो के बिखर गए सारे रंग थे कोशिश तो बहुत की खुद को बचाने की, जोर से चिल्लाने की,उन दरिंदाे से दूर भाग जाने की उस पल फिक्र ना थी खुद की फिक्र थी जमाने की..... ये समाज गलती बतायेगा मेरे पापा की... क्या जरूरत थी बेटी को इतना काबिल बनाने की!!! - Chanchal tomar #काली रात