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... सावन की कलम पे ... अंधेरी रात के लमहात तमाम कर

... सावन की कलम पे ...
अंधेरी रात के लमहात तमाम कर गई है...।
ये तेरी चाह ही है, जो मुझे गुमनाम कर गई है...।

अपनी किस्मत पे इल्ज़ाम कोनसा लगाऊ...।
ये मुहोबत ही थी मेरी, जो मुझे नीलाम कर गई है...।

इश्क़ की आग जो सीने में लगा बैठे है ...।
सुलग रही है सुभो - शाम, जो नींद हराम कर गई है...।

ये बरसती बूंदे मुहोबत की तेरें नाम की " सावन "...।
आज सरेआम, मुझे बदनाम कर गई है ...।
" !...सावन...! " #savan #savankhokhani #savankhokhanigazal #savankhokhanishayri #savankikalampe #sad #sadpoem #sad_shayari #sad_poetry

#baarish
... सावन की कलम पे ...
अंधेरी रात के लमहात तमाम कर गई है...।
ये तेरी चाह ही है, जो मुझे गुमनाम कर गई है...।

अपनी किस्मत पे इल्ज़ाम कोनसा लगाऊ...।
ये मुहोबत ही थी मेरी, जो मुझे नीलाम कर गई है...।

इश्क़ की आग जो सीने में लगा बैठे है ...।
सुलग रही है सुभो - शाम, जो नींद हराम कर गई है...।

ये बरसती बूंदे मुहोबत की तेरें नाम की " सावन "...।
आज सरेआम, मुझे बदनाम कर गई है ...।
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