तुम्हारे इंतज़ार में, अश्क सूख गए मेरे, तेरे नाम से जो भी गुलाब बोए थे, वह भी मुरझा गए सारे अब। कितने अरसो से इंतज़ार है तेरा इस दिल को, ना जाने कितने लम्हे अकेले काटे मैंने तेरे इंतजार में, याद करता हूंँ तुझे तो नजरतले छवि उभर आती है तेरी, महसूस करता हूंँ तो ओझल हो जाती है छवि तेरी। इंतज़ार है मुझे उस लम्हें का, जिस लम्हे में हम साथ में जिए, जिसका ज़िक्र करे तू रूबरू आकर मेरे, और फिर से दोनों खो जाए अपने अतीत में। इंतज़ार है तेरे कदमों का मेरे आंगन को, इंतज़ार है तेरे दीदार का मेरी रूह को, ख्वाइश है यह मेरी आखिरी के, कशमकश मची है इतने वर्षों से मेरे ज़हन में जो, एक बार रूबरू होकर इसे तसल्ली दिला जा। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-913 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।