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हैवानो की इस धरती पर प्यार भला कब जीता है यहाँ जे

हैवानो की इस धरती पर प्यार भला कब जीता है

यहाँ जेल मे वो भी बैठे जो पढ़ते भगवत गीता हैं,

चढ़ा नशा है सब पर भारी इस जालिम सी मोहब्बत का

यहाँ होश में वह है केवल जो दिनभर दारू पीता है।।१।।


भला कौन कब मिल जाएगा बैठे आस लगाए हैं

जिसे ढूढती हिरनी आए कस्तूरी बास लगाए हैं,

भला कौन समझाए इनको नही फसेगी हिरनी कोई

न जाने इक लड़की खातिर क्यो जिन्दगी नाश लगाए हैं।।२।।



मेरी आधूरी शायरी की इक अटकी मिसरा की तरह तेरी मोहब्बत

जो कमब्खत मिल जाती तो जिन्दगी में वज़न पैदा हो जाता।। #love_poem
#part2
हैवानो की इस धरती पर प्यार भला कब जीता है

यहाँ जेल मे वो भी बैठे जो पढ़ते भगवत गीता हैं,

चढ़ा नशा है सब पर भारी इस जालिम सी मोहब्बत का

यहाँ होश में वह है केवल जो दिनभर दारू पीता है।।१।।


भला कौन कब मिल जाएगा बैठे आस लगाए हैं

जिसे ढूढती हिरनी आए कस्तूरी बास लगाए हैं,

भला कौन समझाए इनको नही फसेगी हिरनी कोई

न जाने इक लड़की खातिर क्यो जिन्दगी नाश लगाए हैं।।२।।



मेरी आधूरी शायरी की इक अटकी मिसरा की तरह तेरी मोहब्बत

जो कमब्खत मिल जाती तो जिन्दगी में वज़न पैदा हो जाता।। #love_poem
#part2