इन उजालों का वजूद अंधेरों ने सम्हाल रखा है दिन भी थककर रात के आगोश में सो लेता है चांदनी रातों के किस्से भी मशहूर कहां होते गर अमावस की रातों ने पहरे न दिये होते उजालों की चमक न पडें फीकी अंधेरों ने खुद को जलाया है जीभरकर प्रीति. #प्रकाश#अंधकार#निर्भरता#गजल#yqdidi# PC: pexel