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मुद्दतों बाद मैं यहां हूँ शाम-ए-बाहर में गुले-गुलज़

मुद्दतों बाद
मैं यहां हूँ
शाम-ए-बाहर में
गुले-गुलज़ार में
दिल के करार में
तेरे इंतज़ार में..
तेरे इंतज़ार में।

मुद्दतों बाद
जुगनू वो चमकें है
कोयल वो कूकी है
ठंडी सी बयार में
सावन की फुहार में
तेरे इंतज़ार में..
तेरे इंतज़ार में।।

©AD Rao #मुद्दतों बाद
मुद्दतों बाद
मैं यहां हूँ
शाम-ए-बाहर में
गुले-गुलज़ार में
दिल के करार में
तेरे इंतज़ार में..
तेरे इंतज़ार में।

मुद्दतों बाद
जुगनू वो चमकें है
कोयल वो कूकी है
ठंडी सी बयार में
सावन की फुहार में
तेरे इंतज़ार में..
तेरे इंतज़ार में।।

©AD Rao #मुद्दतों बाद