मैं सुन्न सा हो जाता अकसर गोद में उसके गहरी नींद सा करती फिर वह इशारे मुझे मानो मुझसे नहीं मेरी रूह से करना चाहती हो बात अपना सारा दर्द ए हाल सुनाएं ,मैं उसे रहना चाहता सदा के लिए साथ उसके इन हवाओं की उंगलियों को पकड़े इन पहाड़ों की जुल्फों को ओढ़े कानों में सुगंधित पक्षियों की चहचहाट को भिगोए नजरों को वक्त में संजोए बिताना चाहता अपना एक-एक पल प्रकृति के साथ जाने क्या रिश्ता है जाने क्या नाता है जितना भी दूर जाता हूं उतना ही और पीछे खिंचा आता हूं आंखें जो भर लूं कुछ वक्त गोद में उसके जाने क्यों फिर दुनिया से परे हो जाता हूं खो सा जाता हूं मैं उन दृश्यों में कहीं महक की भांति दुनिया के तमाम आडंबरो से मुक्त मैं राह तकता वक्त की क्षण क्षण कि दूर ना हो जाऊं मैं वास्तविक से कहीं डर तना रहता सीने में मेरे की, लुटा ना दूं खुद को इन वादियों में कहीं Yãsh✍️ #Nature #naturalbeauty #writing #words #Shayari #poem #poemoftheday #Deep #Poetry #CalmingNature