हर बार तोड़ देता हूं, अपने आइने को, खैर उसमें अब मैं ही मैं नज़र आता हूं। जो फरिश्ता बना है उसका, सो गया क्या ? मैं ही उसके घर हाजरी लगा आता हूं।।