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फर्ज के रास्तों पर जब चलती है ज़िंदगी, वफा की छांव

फर्ज के रास्तों पर जब चलती है ज़िंदगी,
वफा की छांव में मिलती है सुकून की बंदगी।
फर्ज है एक वचन, जिसे निभाना है हमें,
वफा वो एहसास, जो दिल में बसाना है हमें।

फर्ज कहता है, कर्तव्य को समझो सदा,
हर रिश्ते में ईमानदारी से बढ़ाओ कदम।
वफा बताती है, प्यार से रखो हर कदम,
दिलों की डोरी में बंधे रहो हर दम।

फर्ज की राहों में आती मुश्किलें कई,
वफा से मिलता है साहस, जीने की नई बही।
फर्ज जहां कठोरता सिखाता है हमें,
वफा वहीं नरमी से सुलझाती है सब पहरे।

फर्ज और वफा, दो किनारे हैं एक नदी के,
दोनों संग हों तो जीवन बहे प्रेम-प्रदीप के।
फर्ज से बनती है मंजिल की राह,
वफा से मिलती है सच्ची चाह।

दोनों मिलकर जीवन को देते नई पहचान,
फर्ज और वफा से सजती है रिश्तों की शान।

©आगाज़ #Wafa   aditi the writer  Kumar Shaurya  Kamaal Husain  amit pandey  DASHARATH RANKAWAT SHAKTI
फर्ज के रास्तों पर जब चलती है ज़िंदगी,
वफा की छांव में मिलती है सुकून की बंदगी।
फर्ज है एक वचन, जिसे निभाना है हमें,
वफा वो एहसास, जो दिल में बसाना है हमें।

फर्ज कहता है, कर्तव्य को समझो सदा,
हर रिश्ते में ईमानदारी से बढ़ाओ कदम।
वफा बताती है, प्यार से रखो हर कदम,
दिलों की डोरी में बंधे रहो हर दम।

फर्ज की राहों में आती मुश्किलें कई,
वफा से मिलता है साहस, जीने की नई बही।
फर्ज जहां कठोरता सिखाता है हमें,
वफा वहीं नरमी से सुलझाती है सब पहरे।

फर्ज और वफा, दो किनारे हैं एक नदी के,
दोनों संग हों तो जीवन बहे प्रेम-प्रदीप के।
फर्ज से बनती है मंजिल की राह,
वफा से मिलती है सच्ची चाह।

दोनों मिलकर जीवन को देते नई पहचान,
फर्ज और वफा से सजती है रिश्तों की शान।

©आगाज़ #Wafa   aditi the writer  Kumar Shaurya  Kamaal Husain  amit pandey  DASHARATH RANKAWAT SHAKTI