#OpenPoetry मुस्कुरा रही है कहीं अकेले में बैठ कुछ पुरानी यादों को हृदय से निकाल कर, वो लटें जो बार बार ना जाने क्यों उसके गालों पर आ जाती हैं, और चिड़ते हुए हटाकर उन बेहूदा लटों को फिर गुम हो जाती है उन्ही यादों में, और फिर हौले से वो मुस्कान उसके चेहरे पर, सूरज की पहली किरण की तरह ही बिखरने लगती है धीरे धीरे..संवरने लगता है रूप उसका..!! कुछ ओस की बूंदे हैं सायद जो उसके चेहरे पर किसी क़ीमती जेवर में लगे उस हीरे की तरह चमक रहा है..जो छोटा होता है यक़ीनन, पर जेवर की सुंदरता में चार चांद लगा देता है..!! Anjani ladki part-2