मुकम्मल हुआ इश्क़, तो रात छोटी रह जाएगी लिखने बैठे किस्सा, तो बात अधुरी रह जाएगी जिंदगी के साथ, अब एक सौदा एेसा भी हुआ महफ़ूज रखा उसे, पर कहानी साथ कही जाएगी इश्क़ में दोनों की फ़िर साझेदारी मानी जाएगी लाख छिपाए ,पर किसी की जुबानी पढ़ी जाएगी एक रोज प्यार का एेसा भी आएगा, होगा सवेरा पर, बदनाम फ़िर बेकसूर रात मानी जाएगी दुआ होगी और ख्वाल भी उसी का देखा जाएगा किस्मत होगी, तो साथ फ़िर उसी का पाया जाएगा बेदस्तूर मुलाकात और अधराह एक वादा हुआ था लिखेंगे कहानी तो किरदार अन्जान बताया जाएगा Akshita jangid (poetess)