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पीपल के थान पर एक सिद्ध योगी ग्राम देवता का अनुभूत

पीपल के थान पर
एक सिद्ध योगी
ग्राम देवता का अनुभूति पा 
ग्राम सुखासन में प्रविष्ट हुआ
सुख के ग्राम में
ग्राम देवता का प्रसन्नचित्त में यह आमंत्रण;
कदाचित ग्राम का संबोधन बना
बाबा फलहारी ने योग स्थल चुना
कोशी की सखी हो या बहना
सबके स्वभाव एक जैसे हैं
स्थल था, सुरसर नदी का तट
बाबा फलहारी कर्मयोगी रहे होंगे
उनकी विशुद्ध चर्चा जीवित है
तीर पर विराजमान बाबा फलहारी
पुनः महामारी से सुख का रक्षा करेंगे! वृक्ष पूजा... ग्रामीण विरासत है...




एक सिद्ध योगी
ग्राम देवता का अनुभूति पा 
ग्राम सुखासन में प्रविष्ट हुआ
पीपल के थान पर
एक सिद्ध योगी
ग्राम देवता का अनुभूति पा 
ग्राम सुखासन में प्रविष्ट हुआ
सुख के ग्राम में
ग्राम देवता का प्रसन्नचित्त में यह आमंत्रण;
कदाचित ग्राम का संबोधन बना
बाबा फलहारी ने योग स्थल चुना
कोशी की सखी हो या बहना
सबके स्वभाव एक जैसे हैं
स्थल था, सुरसर नदी का तट
बाबा फलहारी कर्मयोगी रहे होंगे
उनकी विशुद्ध चर्चा जीवित है
तीर पर विराजमान बाबा फलहारी
पुनः महामारी से सुख का रक्षा करेंगे! वृक्ष पूजा... ग्रामीण विरासत है...




एक सिद्ध योगी
ग्राम देवता का अनुभूति पा 
ग्राम सुखासन में प्रविष्ट हुआ