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इंटरनेट! और एक एक्स्क्लेमेट्री! बस इतना लिखा था उ

इंटरनेट! और एक 
एक्स्क्लेमेट्री!
बस इतना लिखा था
उस सुसाइड नोट में..
जिसे देखकर मैं भी हैरान था..
किस बात का था वो एक्सक्लेमेट्री!
कोई दुःख, कोई विषाद..
या कोई सोशल फसाद..
हर्ष था.. उल्लास था..
या किसी सोशल मीडिया के
अकाउंट का मूक!
इनबॉक्स था..
वो इश्क़ की खुमारी थी..
या कंप्यूटर के हाथ छीनी..
किसी गरीब की बेरोज़गारी थी..
या किसी बैंक के लोन
की उधारी थी..
या आधुनिकता के सामने
बेबस इंसानी लाचारी थी..
समाज के मस्तक पर
प्रश्न चिन्ह सा गढ़ा हुआ 
वो एक्सक्लेमेट्री..
कई विस्मय-आश्चर्य को समेटे
एक लाश थी..
और पुलिस को उसके पीछे 
छिपे सच की तलाश थी..
पर डीएम घोंटता मुंह बाए खड़ा
वो सुसाइड नोट..
इंटरनेट! 
और वो एक्सक्लेमेट्री.. #kavita #socialmedia #internet
#artificialIntelligence #suicide #automation
इंटरनेट! और एक 
एक्स्क्लेमेट्री!
बस इतना लिखा था
उस सुसाइड नोट में..
जिसे देखकर मैं भी हैरान था..
किस बात का था वो एक्सक्लेमेट्री!
कोई दुःख, कोई विषाद..
या कोई सोशल फसाद..
हर्ष था.. उल्लास था..
या किसी सोशल मीडिया के
अकाउंट का मूक!
इनबॉक्स था..
वो इश्क़ की खुमारी थी..
या कंप्यूटर के हाथ छीनी..
किसी गरीब की बेरोज़गारी थी..
या किसी बैंक के लोन
की उधारी थी..
या आधुनिकता के सामने
बेबस इंसानी लाचारी थी..
समाज के मस्तक पर
प्रश्न चिन्ह सा गढ़ा हुआ 
वो एक्सक्लेमेट्री..
कई विस्मय-आश्चर्य को समेटे
एक लाश थी..
और पुलिस को उसके पीछे 
छिपे सच की तलाश थी..
पर डीएम घोंटता मुंह बाए खड़ा
वो सुसाइड नोट..
इंटरनेट! 
और वो एक्सक्लेमेट्री.. #kavita #socialmedia #internet
#artificialIntelligence #suicide #automation