ज़माने में तेरी बात अलग, औरों में तेरी दाद अलग। भरी पड़ी लम्हात से ज़िंदगी, उनमें तेरी याद अलग। दुनियादारी के चक्कर में भूलती भी नहीं अहमियत, ख़्वाहिशों का है अंबार, इन सबमें तेरी मुराद अलग। पढ़कर कुछ पुराने ख़त अपने दिल को बहलाती हूँ, कमी न अल्फ़ाज़ की, छिपी उनमें तेरी नाद अलग। ज़िन्दगी में अपना कहने वालों की बहुत है तादाद, सलामती की मिली दुआओं में, तेरी सलात अलग। मकान से ज़्यादा तो लोग यहाँ दिल बदलते हैं 'धुन', रिश्तों के बनने-टूटने के काम में तेरी सबात अलग। सलात- Prayer सबात- Stability, Durability ♥️ Challenge-534 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)