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खाली रूह पे बेजान जिस्म ये कुछ झीना सा लिपट रहा है

खाली रूह पे बेजान जिस्म ये
कुछ झीना सा लिपट रहा है
नसों में बहता लहू भी तो
टूट टूट के जम सा रहा है
फिर भी कहीं कुछ तो बचा है मुझमे 
जो मिट मिट कर भी बन तो रहा है
ठिकाने लग चुके हैं सब पते हमारे
इक गुमनाम सा खत किसके नाम का 
हवाओं में उड़ सा रहा है
जिस कश्ती में वक़्त ने हमको डाला है
अपनों ने उसे बड़ी बेकद्री से संभाला है
मीठे गन्ने के रस की जिन्हें कद्र नहीं
कड़वे नीम का रस ही  उनका निवाला है #NojotoQuote zindgi ka khat
खाली रूह पे बेजान जिस्म ये
कुछ झीना सा लिपट रहा है
नसों में बहता लहू भी तो
टूट टूट के जम सा रहा है
फिर भी कहीं कुछ तो बचा है मुझमे 
जो मिट मिट कर भी बन तो रहा है
ठिकाने लग चुके हैं सब पते हमारे
इक गुमनाम सा खत किसके नाम का 
हवाओं में उड़ सा रहा है
जिस कश्ती में वक़्त ने हमको डाला है
अपनों ने उसे बड़ी बेकद्री से संभाला है
मीठे गन्ने के रस की जिन्हें कद्र नहीं
कड़वे नीम का रस ही  उनका निवाला है #NojotoQuote zindgi ka khat