खाली रूह पे बेजान जिस्म ये कुछ झीना सा लिपट रहा है नसों में बहता लहू भी तो टूट टूट के जम सा रहा है फिर भी कहीं कुछ तो बचा है मुझमे जो मिट मिट कर भी बन तो रहा है ठिकाने लग चुके हैं सब पते हमारे इक गुमनाम सा खत किसके नाम का हवाओं में उड़ सा रहा है जिस कश्ती में वक़्त ने हमको डाला है अपनों ने उसे बड़ी बेकद्री से संभाला है मीठे गन्ने के रस की जिन्हें कद्र नहीं कड़वे नीम का रस ही उनका निवाला है #NojotoQuote zindgi ka khat