रात गई भौर हुई 'दिनकर' सा शंखनाद कर, चल उठ 'मीर' सा नज़्मों का आगाज कर। बहर-ए-मिसरा से बढ़कर नहीं हैं मुश्किलें, मिसरे पे मिसरा रख 'फैज' को आबाद कर। लहर के साथ समंदर तैरने में वो मज़ा कहां, लहरें चीर 'जॉन' सा ख़ुद को अपवाद कर। ये पत्थर - कांटे नहीं राह के महफ़िलें है तेरी, शरीक हो 'निराला' सा गजब का उन्माद कर। वक्त ग़र मकता पढ रहा तेरी अधूरी गजल का, मतला तु लिख जिंदगी 'गुलजार' सी शाद कर। गुम हो जाये कभी फेर-ए-बह़र के अंधेर में, 'गालिब़' पढ 'फराज़' के कुछ मिसरे याद कर। मित्र नहीं है सभी हमसफर राहों के जहां में, कह रहा 'विश्वास' तु खुद को खुद दाद कर। जिन्दगी हर पल महफ़िलों सी हसीं है 'विकाश', कुछ मुक्तक तु सुना कुछ उन्हें भी फरियाद कर। #NojotoHindi #Bewafa #Ghazal #Nojoto #Shayari #Morning