इंसान सोचता है फिर सोचता ही रह जाता है.... अपनों को छोड़ जब वो पैसों में अपनों की खुशियाँ ढूंढने निकल जाता है.... वो तरक्की के शिखर तक भी पहुँच जाता है .... जेब में पैसे भी घर लाता है ..... पर अपनों को गले लगाने का वक़्त भी नहीं होता उसके पास दो पल बात करने को वक़्त जाया करना तब उसे नज़र आता है .... जब अकेले बैठ थका हुआ खुद को पाता है .... तरक्की की उचि बिस्तर पर चैन कि नींद भी कहाँ पाता है...... फिर माँ को गले लगाने का खयाल उसे आता है ...... देर हो गई ये सोच दरवाजे से ही वापस लौट जाता है ..... फिर करवटों कि नींद में जब तन्हा हो जाता है ..... तब उसे समझ आता है .... दौलत से अपना सुकून और अपनों की खुशियाँ कोई नहीं ख़रीद पाता है। इंसान सोचता है... #इंसानसोचताहै #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi