*कहलैत बिद्यापति की लिखलौं जग लै, उगैलौं सब लै, आ खाइ यैह खाली अपन लोक, किताब एक्के टा छलै संस्कार त सब लै ।* जो होइ जग से अगल वो पोषक एक ही री पहन के निकली स्त्री हुई वो तो एक ही थी री, जो चली गई भूल उसकी री क्यों पालती भरम क्यों मानती मातम री । अपनी ही धुन में बावरी कुछ भी करती जाय री *वो मैथिल में है जिसका मतलब है (comment mein dekh lena) #quotebaba #quotedidi #पवित्र_पापी #goodthoughts #anilyadav #bhaveshsahu #YourQuoteAndMine Collaborating with Priti Maurya