पूर्ण हो जाये तो कुछ शेष बचता नही, अश्रु बह जाए तो पाप शेष रहता नही। हो जाये सुसज्जित जो प्रियतम मेरा,फिर किसी और को देखना मन को भाता नही।। प्रिय पास रहकर कभी पास रहता नही, और निगाहों से ओझल भी होता नही। मेरे स्वामी कभी अधिकार भी जताते नही, नग्न आंखों से दिखते वो किसी को नही।। प्रेम की परीक्षा में वो अनुत्तीर्ण होते नही, क्षण भर की जुदाई भी सह पाते नही। मुझ पतित को पद-कमल मे सजाते सदा, क्षीरसागर में वो निवास भी करते नही।। ✍️✍️✍️ #आलोक_अग्रहरि ©आलोक अग्रहरि मिलन की आस