जगमगा उठेंगे दीप खुशियों के तेरे आँगन में हँसी की फुलझड़ियों की झलक मिली मन में मिठास रिश्तों की एक बार घुलेगी जीवन मे कड़वाहट शिकायत की दूर हो जाएगी पल में बचपन की यादों संग बीत जाएगी यह शाम जब खेल खेल में निपटा देते घर का सारा काम पड़ोस की दहलीज पर जो दीपक रोशन होते बिखर जाते आशीर्वाद के मोती जो हम बच्चे होते (शेष अनुशीर्षक में) जगमगा उठेंगे दीप खुशियों के तेरे आँगन में हँसी की फुलझड़ियों की झलक मिली मन में मिठास रिश्तों की एक बार घुलेगी जीवन मे कड़वाहट शिकायत की दूर हो जाएगी पल में बचपन की यादों संग बीत जाएगी यह शाम जब खेल खेल में निपटा देते घर का सारा काम