तुझको समझते अपनी ज़हनियत, सब मिटा आये हैं हम.. तेरी ख़्वाहिशों पे हर इक मिल्कियत, अब लुटा आये हैं हम । तू मसल दें हमें कदमों तले, बेशक़ शौक़ और गुमान से.. तेरी राहों में जलते जुगनू छोड़, ख़ुद अँधेरे जुटा लाये हैं हम ।। -Digvijay Mishra #myfirstquoteonnojoto