तुम सीमित ना हो परिभाषाओं में, जब ये पूरा आकाश तुम्हारा है। बंद ना कर ख़ुद को देहली में, जब ये पूरी धरा तुम्हारी है। पहचानों ख़ुद की उड़ान को, जब पंख मिले दो भारी हैं। होगी मां, बहन, बेटी, पत्नी तुम, पर मत भूल कि तुम एक नारी हो। @अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस @ #8 मार्च #