मन की जंजीरे तोड़ मानसिकता बदलो दुनिया बदलने से पहले खुद को बदलो कब तक जकड़े रहोगें धर्म, जाति और ऊँच-नीच में छोड़ो क्या रखा इसमें अब तो आओ समाज के बीच मे याद रहे अब जो ना बदले तो आने वाले अपने पीढ़ी को भी अपनी मानसिकता का गुलाम बनाओंगे अरे अब जो ना सुधरे तो कल को अमन-चैन कंहा से लाओगे दिखा दरियादिली और सबको मंजूर कर थोड़ा खट्टे होकर भी गुच्छे भरा अंगूर कर। ©Arun kr. #chains #chains