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ना ही आसमान को मुट्ठी में, कैद करने की ख्वाइश, और

ना ही आसमान को मुट्ठी में,
कैद करने की ख्वाइश,
और न, 
चाँद-तारे तोड़ने की चाहत...!!

कोशिश है तो बस,
इतना तो पता चले की,
क्या है?
अपने अहसास की ताकत...!!
 
इतना ही है मेरा अरमान...!!
की आज के इस
गुमनामी की अँधेरे में,
और प्यार के इस सागर मैं,
ढूँढूँ अपनी पहचान....!!

बस 
इसी सोच के साथ,
मैंने तुझको निहारा है "जान"...!!

©कुन्दन " प्रीत " ( کندن ) #कुन्दन_प्रीत