मैं रूठा , तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ? आज दरार है , कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ? मैं चुप , तुम भी चुप इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ? छोटी बात को लगा लोगे दिल से , तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ? दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर , सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ? न मैं राजी , न तुम राजी , फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ? डूब जाएगा यादों में दिल कभी , तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ? एक अहम् मेरे , एक तेरे भीतर भी , इस अहम् को फिर हराएगा कौन ? ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ? फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ? मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें.... तो कल इस बात पर फिर पछतायेगा कौन ? *_Respect Each Other_* *_Ignore Mistakes_* -unknown #Jainism अगर पर्युषण पर्व पर इस कविता को यथार्थ में समझ लिया जाये तो ये पर्व मनाना निसंदेह सफल हो जायेगा एक बहुत प्यारी कविता *आहिस्ता से पढना*-- एक वाक्य भी दिल में बैठ गया तो कविता सार्थक हो जायेगी:--- #Jainism #kshama #paryushan #forgive #yqbaba #yqpoetry