काल सा प्रचंड भाल नमन भवानी माँ को मुंड माल म्लेच्छ कंद-मूल सम काटते रौद्र रूप हिंसा के विरुद्ध युद्ध भूमि दिखे सौम्य रूप शांति स्निग्ध प्रेम वह बाँटते बाँध केसरिया वही धारते हैं शीश भार जाति-पाति भेद व्यूह शिवाजी ही छाँटते छाँट देते मुगलों के जाल माल भाल सारे रक्त डाल-डाल स्वर्ण भूमि पुण्य पाटते ।। #veershivaji #yqhindiurdu #yqbaba #yqdidi #yqquotes #kumarmridul