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रिश्ते में दूरियां कब आती है की इन चाहतों के मौस

रिश्ते में दूरियां कब आती है   की इन चाहतों के मौसम में भी अब बातें होती नहीं!
इन चाहतों के मौसम में ये रातें रोती रही!
इन ख्वाहिशों के मंजर में कुछ युं होने लगा है! 
कि दिल में गम भरे पड़े हैं! 
मगर ये आंखें रोती नहीं!

की वक्त ने हमपे ये कैसा पहरा कर दिया है!
तेरे मेरे बिच की दुरियों को गहरा कर दिया है! 
हालात ने हमको कितना असहज बना दिया है! 
मोहब्बत ने हमें ये कैसा सिला दिया है! 

कि चादर हैं गद्देदार तकिये हैं,पर ये आंखें सोती नहीं! 
मेरे सांथ बस ये मेरी रातें रोती रही!
 वक्त ने हमपे ये कैसा पहरा कर दिया है!
की फोन में नम्बर पड़े हैं मगर बातें होती नहीं! 
मगर बातें होती नहीं! 2

©Prakash Vats Dubey
  Amresh Krishna Vicky Kumar  k Smile Malik