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White एक गुमसुम सा लड़का था मैं जिन दिनों कुछ भी

White एक गुमसुम सा लड़का था मैं जिन दिनों
 कुछ भी आता नहीं था मुझे ठीक से
 काम से काम रखता था मैं उन दिनों
 अपनी मस्ती में जीता था रहता था मैं
 मेरे दिल में जो आए वो करता था मैं
 इस तरह ठीक चल तो रहा था मगर 
 हादसा एक दिन यार ऐसा हुआ
मेरी आँखें खुली की खुली रह गई
 मौन था मैं वहीं और करता भी क्या
 ख़ुद-कुशी की ही बातें खटकने लगी
 कोई अपना नहीं था शहर में जिसे
 बात कहता किसे गम सुनाता किसे
 जब समझ में मेरे कुछ भी आया नहीं
अब करेगा वही ठीक ये सोचकर
मैंने ख़ुदको उसी के हवाले किया
 जो हुआ सो हुआ भूल  जाऊँ मगर 
 दर्द का सिलसिला फिर भी चलता रहा
 ठीक कहते हैं लड़के नए दौर में
 ग़म की सौगात करता नहीं है कोई 
वक़्त पे साथ देता नहीं है कोई 
 ठीक ऐसा मेरे साथ होता रहा 
 बात करते हुए तंज कसते हुए
 लोग ताने भी देते थे हँसते हुए
 ऐसा मंज़र जो मुझसे न देखा गया
 इस तरह हर घड़ी टूटता ही रहा
 मानो सब कुछ ही छिन तो गया था मगर
 एक उम्मीद ने मुझको ज़िंदा रखा
 फिर उसी वक़्त मैंने ये तय कर लिया
 अब तो जो भी है करना पड़ेगा मुझे
 हौंसला इस तरह से बढ़ाते हुए
 चल पड़ा राह में लड़खड़ाते हुए
 रोज गिरता रहा फिर संभलता रहा
 राह काँटों के थे फिर भी चलता रहा
 दे के ठोकर वो बेहतर बना ही दिया
 *वक़्त ने मुझको जीना सिखा ही दिया*

©Govind Singh rajput GSR #sad_qoute  Ruchika  Aditi Agrawal  Hiyan Chopda  Akku chaudhari  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal)  deep poetry in urdu urdu poetry love poetry in hindi poetry quotes
White एक गुमसुम सा लड़का था मैं जिन दिनों
 कुछ भी आता नहीं था मुझे ठीक से
 काम से काम रखता था मैं उन दिनों
 अपनी मस्ती में जीता था रहता था मैं
 मेरे दिल में जो आए वो करता था मैं
 इस तरह ठीक चल तो रहा था मगर 
 हादसा एक दिन यार ऐसा हुआ
मेरी आँखें खुली की खुली रह गई
 मौन था मैं वहीं और करता भी क्या
 ख़ुद-कुशी की ही बातें खटकने लगी
 कोई अपना नहीं था शहर में जिसे
 बात कहता किसे गम सुनाता किसे
 जब समझ में मेरे कुछ भी आया नहीं
अब करेगा वही ठीक ये सोचकर
मैंने ख़ुदको उसी के हवाले किया
 जो हुआ सो हुआ भूल  जाऊँ मगर 
 दर्द का सिलसिला फिर भी चलता रहा
 ठीक कहते हैं लड़के नए दौर में
 ग़म की सौगात करता नहीं है कोई 
वक़्त पे साथ देता नहीं है कोई 
 ठीक ऐसा मेरे साथ होता रहा 
 बात करते हुए तंज कसते हुए
 लोग ताने भी देते थे हँसते हुए
 ऐसा मंज़र जो मुझसे न देखा गया
 इस तरह हर घड़ी टूटता ही रहा
 मानो सब कुछ ही छिन तो गया था मगर
 एक उम्मीद ने मुझको ज़िंदा रखा
 फिर उसी वक़्त मैंने ये तय कर लिया
 अब तो जो भी है करना पड़ेगा मुझे
 हौंसला इस तरह से बढ़ाते हुए
 चल पड़ा राह में लड़खड़ाते हुए
 रोज गिरता रहा फिर संभलता रहा
 राह काँटों के थे फिर भी चलता रहा
 दे के ठोकर वो बेहतर बना ही दिया
 *वक़्त ने मुझको जीना सिखा ही दिया*

©Govind Singh rajput GSR #sad_qoute  Ruchika  Aditi Agrawal  Hiyan Chopda  Akku chaudhari  Author Shivam kumar Mishra (Shivanjal)  deep poetry in urdu urdu poetry love poetry in hindi poetry quotes