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हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी स्त्री तुम क

हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी

स्त्री तुम कभी पुरुष न बन पाओगी
तुम कभी किसी को दुःख न दे पाओगी
तुम तो सदा समझती रही हो जग को
फिर कैसे नासमझ पुरुष बन पाओगी
हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी

तुम में तो बसा प्रेम का संसार है
तू ही तो जग की पालन हार है
फिर कैसे ह्रदय में अपने तुम घृणा लाओगी
कैसे किसी को रोता देख मुस्कुराओगी
हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी

तुम तो भूख का भी त्याग कर देती हो
गलती हर किसी की माफ कर देती हो
क्या पुरुष भाँति झूठा घमंड दिखा पाओगी
झूठी शान खातिर तुम ये सब न कर पाओगी
हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी

अपने हर स्वप्न का तुम गला घोट देती हो
पुरुष के अपमान को मौन रह तुम सहती हो
क्या तुम किसी लाचार पर हाथ उठा पाओगी
अरे रहने दो तुम कभी बेशर्म न बन पाओगी
हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी....

आदि हाँ स्त्री तुम कभी पुरुष न बन पाओगी #poetry #lady #nojoto #poem
हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी

स्त्री तुम कभी पुरुष न बन पाओगी
तुम कभी किसी को दुःख न दे पाओगी
तुम तो सदा समझती रही हो जग को
फिर कैसे नासमझ पुरुष बन पाओगी
हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी

तुम में तो बसा प्रेम का संसार है
तू ही तो जग की पालन हार है
फिर कैसे ह्रदय में अपने तुम घृणा लाओगी
कैसे किसी को रोता देख मुस्कुराओगी
हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी

तुम तो भूख का भी त्याग कर देती हो
गलती हर किसी की माफ कर देती हो
क्या पुरुष भाँति झूठा घमंड दिखा पाओगी
झूठी शान खातिर तुम ये सब न कर पाओगी
हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी

अपने हर स्वप्न का तुम गला घोट देती हो
पुरुष के अपमान को मौन रह तुम सहती हो
क्या तुम किसी लाचार पर हाथ उठा पाओगी
अरे रहने दो तुम कभी बेशर्म न बन पाओगी
हाँ! स्त्री तुम कभी पुरूष न बन पाओगी....

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