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बिहार, झारखण्ड में छठ पूजा की तैयारियाँ बड़े ही उत्

बिहार, झारखण्ड में छठ पूजा की तैयारियाँ बड़े ही उत्साह और पूर्ण श्रद्धा के साथ जाती है। विशेष रूप से हिन्दुओं का यह त्योहार वहां के लोगों की आस्था और निष्ठा का पर्व है जो दीवाली के चौथे दिन से आरम्भ होता है और छठ की पूजा के दिन समाप्त होता है।36 घण्टों का उपवास होता है।
त्योहार मुख्यतः सूर्यदेव को अर्घ्य दोनों  प्रात: तथा सन्ध्या समय व्रती महिलाओं (तथा पुरुषों द्वारा भी किया जाता है) पूरी स्वच्छता और सजगता के साथ साथ मनाते हैं। सेना में क्योंकि सर्व धर्म समभाव को बढ़ावा दिया जाता है इसलिए वहाँ के अधिकांश लोग इसकी अच्छी-खासी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और कुछ तो ये व्रत करने भी लगते हैं।
इसी का परिणाम है कि आजकल इस पर्व की मान्यता भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में तेजी से प्रचलित हो रही है।
छठी के दिन व्रत का समापन दिन होता है तथा छठ मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण हो जाने की विनती की जाती है, इसलिए छठ मईया और सूर्य देव दोनों के पूजन का विधान है।

©bhishma pratap singh #छठ पूजा#बिहार प्रदेश का अत्यंत कठिन व महत्वपूर्ण पर्व#इतिहास और पौराणिक कथा #भीष्म प्रताप सिंह #chhathpuja#नवंबर क्रिएटर
बिहार, झारखण्ड में छठ पूजा की तैयारियाँ बड़े ही उत्साह और पूर्ण श्रद्धा के साथ जाती है। विशेष रूप से हिन्दुओं का यह त्योहार वहां के लोगों की आस्था और निष्ठा का पर्व है जो दीवाली के चौथे दिन से आरम्भ होता है और छठ की पूजा के दिन समाप्त होता है।36 घण्टों का उपवास होता है।
त्योहार मुख्यतः सूर्यदेव को अर्घ्य दोनों  प्रात: तथा सन्ध्या समय व्रती महिलाओं (तथा पुरुषों द्वारा भी किया जाता है) पूरी स्वच्छता और सजगता के साथ साथ मनाते हैं। सेना में क्योंकि सर्व धर्म समभाव को बढ़ावा दिया जाता है इसलिए वहाँ के अधिकांश लोग इसकी अच्छी-खासी जानकारी प्राप्त कर लेते हैं और कुछ तो ये व्रत करने भी लगते हैं।
इसी का परिणाम है कि आजकल इस पर्व की मान्यता भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में तेजी से प्रचलित हो रही है।
छठी के दिन व्रत का समापन दिन होता है तथा छठ मैया से अपनी मनोकामना पूर्ण हो जाने की विनती की जाती है, इसलिए छठ मईया और सूर्य देव दोनों के पूजन का विधान है।

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