ख़ामोशी भरे उन बातोँ का उन तन्हा तन्हा रातों का हिसाब भला हम क्या देंगे अबके तुमने ख़त लिख्खा तो ज़वाब भला हम क्या देँगे।। - क्रांति Wait for the complete poem #ज़वाब