यकीन यकीन मानो में तुम्हें कल भी जितना चाहता था आज भी उतना चाहता हूं मगर में तुम्हें कैसे समझाऊं की तेरे ना चाहने से भी कोई बात नहीं में फिर्भी तुमको चाहूंगा यकीन ना आए तो मेरे जीवन की हर पन्ने को पढ़ के देख कितना में चाहता था ,चाहता हूं और चाऊंगा मेरा यकीन कर में फिर भी... #यकीन@pbs#