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गौरया.... मेरे घर भी आओ न आंगन सुना हो गया है मेरा

गौरया....
मेरे घर भी आओ न
आंगन सुना हो गया है मेरा
इसे फिर से चहकाओ न
गौरया... 



गौरया... 
मम्मी से मार खा कर भी
तुम्हारे लिए आंगन में चावल रखना
पापा की डांट खाकर भी
तुम्हारे लिए पानी रखना
अच्छा लगता था
बहुत दिन हो गए मार और डांट खाए हुए
मुझे फिर से डांट खिलाओ न
गौरया.... 
मेरे घर भी आओ न


गौरया... 
वर्ष बित गए तुम्हे देखे हुए
भूल कर भी तुम दिखती नही
तुम्हारे न आने से मन मेरा बेजार हो गया
गौरया...
इस बेजार मन को फिर से खिलखिलाओ न
गौरया... 
मेरे घर भी आओ न



गौरया... 
ठंड की इस लालिमा के साथ तुम आई हो
मेरे बेजार मन का सुकून साथ लाई हो
गौरया... 
तुम्हारी विलुप्त होती प्रजाति का 
मैं रक्षा करूंगी
जिस तरह चहका दिया मेरे घर आंगन को तुमने फिर से
उस तरह तुम्हारी प्रजाति का मैं ख्याल रखुंगी
गौरया... 
तुम्हे मैं मिटने दुंगी न
गौरया... 
मैं औरों को भी तुम्हारे लिए जागरूक करूंगी न
गौरया... 
मेरे घर हमेशा रहोगी न
मेरे घर आंगन हमेशा चहकाओगी न
गौरया... 
मेरे घर हमेशा रहोगी न

©कलम की दुनिया
  #गौरया