मैं ने उसे उर्दू लिखना सिखाया था, उसने भी मुझे संस्कृत पढ़ाई थी, हमें इश्क़ हुआ था और हमारी जान पर बन आयी थी.. उसने मुझे गीता का सार सुनाया था, मैं ने भी उसे कुरान की बातें बताई थी, हमें इश्क़ हुआ था और हमारी जान पर बन आयी थी.. ईद के दिन वो सेवईयां खाता था,करवाचौथ पर मैं उसे छत पे देखने आयी थी, उस दिन तो चाँद ने भी मज़हबी बात झुठलायी थी, हमें इश्क़ हुआ था और हमारी जान पर बन आयी थी.. मैं उससे मिलने मंदिर में आयी थी, ये बात पूरे मोहल्ले को पंडित ने बताई थी, हमें इश्क़ हुआ था और हमारी जान पर बन आयी थी.. अब्बा ने मुझे पर लाख पाबंदी लगाई थी, उसके भी घर वालों ने उसे मज़हबी बात बताई थी, हमें इश्क़ हुआ था और हमारी जान पर बन आयी थी.. साँसे उसकी थम सी रही थी, धड़कने मेरी रुक सी रही थी, हाँ हमें इश्क़ हुआ था और हमारी जाँने निकल रही थीं.. "अब इस जहाँ को छोड़ हम उस जहाँ में संग रहा करते थे, जहाँ जाति-धर्म को छोड़ लोग रूहों के संग जिया करते थे" बिना पढ़े like ना करे.. #interreligion #ishq #mazhab #frommydairy #yqlove #shalinisahu #yqbaba #yqbesthindiquotes