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सोचते हैं हम पर नहीं करते अमल,खिल कर कमल सा निर्म

 सोचते हैं हम पर नहीं करते अमल,खिल कर कमल सा निर्मल नीर..!
शांत स्वभाव रखना जीवन में,जैसे शीतल लहर समीर..!

हम बदलेंगे तो ही युग बदलेगा,बदलेगी जग की तस्वीर..!
भय न शय हिम्मत से कह,बनायेगें ख़ुद की हम तक़दीर..!

हौंसला है समुन्दर सा गहरा,देगा जो दुश्मन को चीर..!
आँच न आने देंगे अपनों पे,कहते हैं ये हम सब वीर..!

जाँचेंगे परखेंगे सभी को,अति उत्साह में न होंगे अधीर..!
देखेगा ये सारा जमाना,कमाना कर्मों को बन कर धीर..!

दौलत शौहरत की चाह न रखना,बनना सदा दिल से अमीर..!
सोने न देना भूखा किसी को,न कहना किसी को नीच फ़क़ीर..!

दिल दरिया है बहता पानी,फर्क जाने किस्मत और लकीर..!
मिला है जीवन मनुष्य का तो,कर्मों से बनना सदा सादे हमीर..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #moonnight #sochtehainhum