कर ना सके जब वो इश्क़ पे यकीन, तो कर दी उन्होंने इश्क़ की तौहीन। तोड़ के दिल मेरा वो ऐसे खुश हुए। जैसे दिल तोड़ने के वो है शौकीन। सच्ची मोहब्बत तुमने आजतक न की। कैसे जानोगे है ये कितनी नमकीन। इस तरह दिलों से खेलना छोड़ दो। माहौल हो जाता है बड़ा ही ग़मगीन। माना इश्क़ के तुम धुरंधर खिलाड़ी हो। पर याद रखना आएगा वो एक दिन। जब दिलों से खेलने की सज़ा मिलेगी। पास में ना होगी फिर कोई नाज़नीन। 🌷सुप्रभात🌷 👉🏻 प्रतियोगिता- 250 🙂आज की ग़ज़ल प्रतियोगिता के लिए हमारा शब्द है 👉🏻🌹"इश्क़ की तौहीन"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य है I कृप्या