न जाने मुझे किसकी तलाश है , सब साथ में हे , सब कुछ हे , फिर भी न जाने मुझे किसकी तलाश है , मुझे समझ नहीं आ रहा है , सब साथ में हे फिर भी एक अकेला पन हे न जाने मुझे किसकी तलाश हे रोज घर से ऑफिस ऑफिस से घर यही तो चल रहा था । किन्तु हुआ क्या अब न जाने मुझे किसकी तलाश है पहले तो नहीं हुआ ऐसा कभी अब क्या हुआ क्या है ये कैसी अजीब बेचैनी हे हुआ क्या है मुझे किसकी तलाश है अजीब मसला है जो अब संभला नहीं जा रहा है न जाने किसकी तलाश है | मंजिल के करीब हु तक़दीर भी साथ हे फिर ना जाने मुझे किसकी तलाश है बताये यर केसा लगा मेरा विचार