माँ वृक्ष की छाया, वृक्ष से बंधी होती है चाह कर भी राही के साथ नहीं चल सकती। मांँ की छाया, हर छाया से बड़ी होती है चाह कर भी आसमान इतना बड़ा नहीं हो सकता कि माँ के स्नेह को ढँक ले। १७२/३६६ ममता की मूरत माँ 🤱। अतुलनीय है उसका प्यार। #माँकाप्यार#, #पेड़ की छाया #Yreeta-lakra-9mba