क्या कहें जी का ये मंज़र धुआँ-धुआँ है ज़िंदगानी सुलग रहीं साँसों में मुसलसल अपने ही बचपन की कहानी तेरा होना ज़िन्दगी थी मौत है पल-पल निभानी किससे जी चुपचाप कह ले हो धुआँ ये पानी-पानी एक तेरे हौसले के दम पे अमान पाए ये नम वीरानी तेरे दिल का सब्र पाए बेचैनियों की ये रवानी माँ! अच्छा होता माँ ही रहती कहती किस्से-और कहानी क्या ज़रूरी था इतना जाना बन गई क्यों ख़ुद कहानी ना कटें बेसब्र रातें फिर सुना दे कोई कहानी #onlytoyou#storieshardtolistento#lifeandgraf#thepitaphoflife#yqlove#loveumummy