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सुनो कहानी, स्त्री के रूप,रंग और क्रोध की, स्त्र

सुनो कहानी,

 स्त्री के रूप,रंग और क्रोध की,
स्त्री के संयम और बोध की,

आँख उठाई रावण ने बदले की आग में,
जल गई लंका सोनें की बदल गई खाक में,

डाला दुष्ट दुशासन ने स्त्री की इज्जत पर हाथ,
भई क्रोधित पांचाली, मिटे सौ भाई एक साथ,

कहता नही "अमित" दुनिया में सबको अपनी बहन मानों,
पर होगी वो भी इज्जत किसी के घर की,उसकी अस्मत को पहचानो,

इंसान हो तुम हैवान नही कर लो अपनी तुम पहचान नई,
अगर सुधारा खुद को तुमने तो सुधर जायेंगे देश कई,

पाप के आगे कभी सत्य न झुका न डिगा है,
पलट लो पन्नें पुराने इसका इतिहास गवाह है,

स्त्री माँ है तो ममता की एक मूरत है,बहन है तो एक भोली सी सूरत है,
दो इज्जत देश की हर लड़की को हर घर की ये जरूरत है,

है बेटी तो बाप की लाज है,बहन और बेटी से ही घर की इज्जत आज है,
बेटी ही आँगन की किलकारी है और बेटी ही पिता के सर का ताज है,

अमित द्विवेदी (राम)

©Amit Dwivedi Ram स्त्री का सम्मान........

#MySun
सुनो कहानी,

 स्त्री के रूप,रंग और क्रोध की,
स्त्री के संयम और बोध की,

आँख उठाई रावण ने बदले की आग में,
जल गई लंका सोनें की बदल गई खाक में,

डाला दुष्ट दुशासन ने स्त्री की इज्जत पर हाथ,
भई क्रोधित पांचाली, मिटे सौ भाई एक साथ,

कहता नही "अमित" दुनिया में सबको अपनी बहन मानों,
पर होगी वो भी इज्जत किसी के घर की,उसकी अस्मत को पहचानो,

इंसान हो तुम हैवान नही कर लो अपनी तुम पहचान नई,
अगर सुधारा खुद को तुमने तो सुधर जायेंगे देश कई,

पाप के आगे कभी सत्य न झुका न डिगा है,
पलट लो पन्नें पुराने इसका इतिहास गवाह है,

स्त्री माँ है तो ममता की एक मूरत है,बहन है तो एक भोली सी सूरत है,
दो इज्जत देश की हर लड़की को हर घर की ये जरूरत है,

है बेटी तो बाप की लाज है,बहन और बेटी से ही घर की इज्जत आज है,
बेटी ही आँगन की किलकारी है और बेटी ही पिता के सर का ताज है,

अमित द्विवेदी (राम)

©Amit Dwivedi Ram स्त्री का सम्मान........

#MySun