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होते ही काबिज़ रूह पर , इश्क़ जगाता है तड़पाता है और

होते ही काबिज़ रूह पर ,
इश्क़ जगाता है तड़पाता है और नचाता है ; 
ज़िस्म को अपनी अँगुलियों पर ! #काबिज #रूह #इश्क
होते ही काबिज़ रूह पर ,
इश्क़ जगाता है तड़पाता है और नचाता है ; 
ज़िस्म को अपनी अँगुलियों पर ! #काबिज #रूह #इश्क