आज भी नहीं छुपा पाता अपने जज़्बात में उनके आगे उनके आगे मैं हमेशा, जैसा हूँ वैसा ही हो जाता हूँ उनका नहीं था तब भी, उनका हो गया तब भी सारी दुनिया समझती है मुझे बे-दिल बे-जज़्बात मैं केवल उनसे ही अपना अक्स साझा कर पाता हूँ अश्क़ भी केवल उनके आगे बहाता हूँ बचपना भी एक उन्हें ही दिखाता हूँ हक़ जताता हूँ, बे-हद जताता हूँ रूठ जाता हूँ, कभी उन्हें मनाता हूँ गुस्सा है तो गुस्सा, प्यार है तो प्यार सब केवल उनसे दिल खोल ज़ाहिर कर पाता हूँ गुस्सा यूँ ही नहीं होता उनसे उन्हें सुनाने को यूँ ही नहीं रूठ जाता हूँ केवल उनकी फिक्र का मारा हूँ इसलिये परेशान हो जाता हूँ आज भी है उनका मुझ पर उतना ही हक़ मैं भी तो बस उन पर फ़िर से वही हक़ चाहता हूँ फ़िक्र रहती है मुझे उनकी ख़ुद से ज्यादा बस यह बात आसान शांत लहजे में नहीं कह पाता हूँ उनका दूर जाना मुझसे, मुझसे कटना या मेरा हक़ किसी और को देना थोड़ा-सा भी मैं, ना जाने क्यों आज भी सह नहीं पाता हूँ न-जाने क्यों मैं ऐसा हूँ, क्यों ख़ुद को नहीं बदल पाता हूँ है बस इतना पता कि फ़िक्र है उनकी मैं उन्हें आज भी बे-हद बे-हद और बे-हद बे-हद क्या मैं उन्हें आज भी ख़ुद से ज्यादा चाहता हूँ #💟🌹