मुसिबत मुसिबत बन गई तो, ये भी एक जरूरत हैं। कभी तो था तभी तो है, ये भी एक हकीकत हैं। सुना तो होगा लेकिन समझा नहीं , ये भी एक शिकायत हैं। मिला जो ये तुमसे तुम मर ही गए, ये भी एक सुरत हैं। गम मुझे भी है इसका , बस लिखने की एक आदत हैं। फिर खो जाएंगे हम, आखिर मेरी भी एक हसरत हैं। मुसिबत मुसिबत बन गई तो , ये भी एक जरूरत हैं।